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यह जीवन हमारे लिए ईश्वर का उपहार है

हम इस जीवन के साथ जो करते हैं वह ईश्वर को हमारा उपहार है।

तो चलिए, मिलकर प्रयास करते है अपने उपलब्ध रिसोर्सेज की सहायता से अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने का और चमकते रहने का।

This Life Is God’s Gift To Us And What We Do With This Life Is Our Gift To God. So Let’s Do The Best We Can, With The Best We Have & Keep Shinning.

यह जीवन हमारे लिए ईश्वर का उपहार है


हम इस जीवन के साथ जो करते हैं वह ईश्वर को हमारा उपहार है।


तो चलिए, मिलकर प्रयास करते है अपने उपलब्ध रिसोर्सेज की सहायता से अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने का और चमकते रहने का।

मेरी जीवन कथा बहुत सरल और सीधी है। हरियाणा के बहुत दूर के गांवों के एक सरकारी कर्मचारी परिवार में जन्मा और पला बड़ा, मैंने 10वीं कक्षा तक 5 स्कूल बदले और समस्त चुनौतियों का जी जान से सामना किया। CAT परीक्षा पास करने के बाद, मैंने एक प्रधान मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट से अपनी MBA की पढ़ाई पूरी की और एक प्रचलित ऑटोमोबाइल MNC में 4 वर्ष तक अलग अलग पदों में एक सफल और शानदार करियर बनाया।


मैंने 2007 में अपनी बिज़नेस की यात्रा शुरू की, जो आज तक नए मोड़ और बदलाव के साथ चल रही है। 2018 में लेखक और कंटेंट क्रिएटर बनते हुए मुझे कॉर्पोरेट ट्रेनर और ऑनलाइन शिक्षक बनने का मौका मिला। अब यह सब मेरे जीवन का एक ज़रूरी हिस्सा बन चूका है। 9 भाषाओं में 4 बेस्टसेलिंग किताबें, सोशल मीडिया पर 210 मिलियन व्यूज, कई पुरस्कार, 50+ देशों से छात्रों का एक बड़ा समुदाय, ऐसा लगता है कि जीवन अभी बस शुरू ही हुआ है। मेरी यह हार्दिक इच्छा है की अपने इस जीवन काल में मैं लोगों को प्रेरित करूँ और सशक्त बनाता रहूँ।

जीवन यात्रा एवं उद्देश्य

बाल्यावस्था


मेरा जन्म भारत के हरियाणा राज्य के रेवाड़ी जिले के जाटूसाना नामक एक छोटे से गाँव में हुआ था। मेरे पिता सरकारी डिस्पेंसरी में फार्मासिस्ट थे और माँ एक गृहिणी थीं। हमारे गाँव में रहने की स्थिति उतनी बेहतर नहीं थी, मेरी माँ को हमारे परिवार के लिए दो बाल्टी पीने का पानी लाने के लिए सार्वजनिक जल पंप पर प्रतिदिन 30 मिनट या उससे अधिक समय तक कतार में खड़े रहना होता था।


जब मैं 6 साल का था, मुझे स्थानीय सरकारी स्कूल में भेजा गया जहाँ पेड़ों के नीचे कक्षाएं चलाई जाती थीं। जैसे ही पिता जी का कलानौर नाम के दूसरे शहर में ट्रांसफर हुआ, हम सब वहाँ चले गए। उसी वर्ष, मेरे पिता जी को कैंसर हो गया। अगले दो साल तक मेरी मां उनकी जान बचाने की उम्मीद में रोहतक और दिल्ली के एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल जाती रहीं। चूंकि माता-पिता दूर थे, मैं और मेरे भाई अलग-अलग रिश्तेदारों के साथ रहे।



किशोरावस्था


मेरी माँ को सिरसा नामक शहर में नौकरी मिल गई और हम सब वहाँ चले गए। अगले कुछ साल मेरे लिए अद्भुत थे क्योंकि मैंने अपने स्कूल की पढ़ाई के साथ साथ घर की जिम्मेदारियों को भी निभाना शुरू कर दिया था। मेरे पिता एक डॉक्टर बनना चाहते थे लेकिन उनके परिवार की आर्थिक कठिनाइयों के कारण उन्हें मजबूरन फार्मसिस्ट बनना पड़ा। इसलिए डॉक्टर बनना मेरे परिवार का एक अधूरा सपना था जिसे मुझे पूरा करना था। मैंने कोशिश की लेकिन एक छोटे से अंतर से मैं डॉक्टर बनते बनते रह गया।

उच्चतम शिक्षा


मैं डॉक्टर बनने के लिए मेडिकल कॉलेज में लगभग प्रवेश कर ही चूका था की तभी मैंने साइंस से कॉमर्स में शिफ्ट होने का फैसला लिया और अपनी बी.कॉम की पढ़ाई हमारे स्थानीय कॉलेज से पूरी की। एमबीए का उन दिनों बड़ा क्रेज था और मैंने भी इस रेस में शामिल होने का फैसला किया। मेरे सबसे अच्छे दोस्त रोहित के बड़े भाई ने मुझे केवल टॉप 20 कॉलेज से ही MBA करने की सलाह दी और दिल्ली में मेरी CAT परीक्षा की तैयारी की व्यवस्था की। मैं शुरू से ही एक हिंदी माध्यम का छात्र था और अब मेरे सामने दो चुनौतियाँ थीं - कैट की तैयारी करना और अपनी अंग्रेजी पर काम करना। लेकिन मेरे पास एक यही रास्ता था और मुझे यह करना ही था। मैंने अच्छी तैयारी की और टी.ए.पाई मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट, मणिपाल, में प्रवेश लिया, जो भारत के टॉप 20 बिजनेस स्कूलों में से एक है।

उस कॉलेज में प्रवेश मिलना मुश्किल था लेकिन उससे भी ज़्यादा कठिन था उस कॉलेज में अपनी पढ़ाई को जारी रखना। मुझे अंग्रेजी अच्छे से बोलनी नहीं आती थी और कम्युनिकेशन के दौरान मेरा आत्मविश्वास भी न के बराबर था। इसी कारण मुझे दूसरे छात्रों के मुकाबले अधिक परिश्रम करना पड़ा। कई बार मुझे संदेह होता था कि मैं इस डिग्री को पूरा कर पाऊंगा या नहीं लेकिन फिर मुझे याद आया कि मैं वहां एजुकेशन लोन लेकर आया था और मेरे पास अच्छे ग्रेड और अच्छी नौकरी के साथ वापस जाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। पहला साल गुज़रते हुए, शायद मैं ही अकेला व्यक्ति था जिसे कैंपस में समर प्लेसमेंट नहीं मिला। कोई भी कंपनी मुझे फ्री में काम पर लेने को तैयार नहीं थी। लेकिन हर रिजेक्शन के साथ मेरी मेहनत बढ़ती गयी और आखिर में नौकरी पाने वाले छात्रों में से पहला मैं ही था।

नौकरी


अपनी बेसिक नौकरी ट्रेनिंग को तमिलनाडु और कर्नाटक में पूरी करने के बाद मुझे मेरी पहली नौकरी पटना, बिहार में मिली, जहाँ मैं बिहार और झारखंड के लिए डायरेक्ट मार्केटिंग ऑपरेशन्स का इन-चार्ज था। अगले एक साल तक मैंने पूरे बिहार और झारखंड में काम किया और पश्चिमी यूपी में एक नए पद पर प्रमोट हुआ। वहां नए रिकॉर्ड तोड़े और चंडीगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू के लिए एरिया मैनेजर - सेल्स के रूप में प्रोमोट हुआ।

महज़ 25 साल की उम्र में, मैं उस कंपनी के अब तक के सबसे कम उम्र के एरिया मैनेजरों में से एक था और यह काफी हद तक इसलिए संभव हुआ क्योंकि मैंने हर दिन उनकी उम्मीदों से भी ज़्यादा अपना काम किया। ऐसा कोई दिन नहीं था जब मैंने अपनी नौकरी में कोई नई पहल न की हो। मेरे काम के दिन मेरे जीवन के सबसे खुशनुमा दिनों में से थे और मैं हमेशा मानता हूं कि अगर हम किसी भी काम में अपना 100% देंगे, तो हम हमेशा खुश और सफल रहेंगे।

व्यवसाय


2006 के मई में एक अजनबी मेरे ऑफिस में आए और मुझे पार्ट-टाइम बिज़नेस शुरू करने के लिए राजी करने लगे। वह अगले 13 महीनों तक कोशिश करते रहे और मैं ना कहता रहा। मुझे उनका प्रस्ताव पसंद आया लेकिन मैं अपनी उच्च तनख्वाह देने वाली नौकरी को खतरे में डालने से डर रहा था खासकर उस काम को करने के लिए जो मैंने पहले कभी नहीं किया था। मैंने एमबीए किया था, मैं अपनी कंपनी के सबसे सफल मैनेजरो में से एक था और मैं जितना खर्च कर सकता था उससे अधिक पगार कमा रहा था और एक अनिश्चित व्यवसाय के लिए यह सब जोखिम उठाने का मेरे पास कोई कारण नहीं था।

2007 के जून में, मैं गलती से एक डायरेक्ट सेलिंग इवेंट में शामिल हो गया और मैंने इसे अपनी नौकरी के साथ पार्ट-टाइम शुरू करने का फैसला किया। मैंने पहले कभी कोई बिज़नेस नहीं किया था और शुरुआत में बहुत सारी गलतियाँ कीं। लेकिन मैं हमेशा मानता हूँ कि हर चीज आसान होने से पहले मुश्किल होती है और अगर हम सीखने और अभ्यास करने के लिए तैयार हैं तो हम आसानी से कुछ भी कर सकते हैं। मैंने अपने ऑफिस ख़त्म होने के बाद वाले हर एक मिनट को अपने बिज़नेस को बनाने में लगा दिया। 3 महीनो के बाद मैंने अपनी नौकरी से इस्तीफा देने का फैसला किया और 2007 के 30 सितंबर को मैंने अपने बिज़नेस को अपना सारा समय दे दिया।

मैं सेल्स में माहिर था और मुझे अपनी मीटिंग्स से अच्छे परिणाम मिल रहे थे लेकिन मुझे टीम मैनेजमेंट और बिज़नेस सिस्टम की कोई जानकारी नहीं थी इसलिए मेरा बिज़नेस ठप पर गया। मैंने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था और साथ में अपनी पत्नी और अपने भाई को भी इस्तीफा देने को कहा था। हमने हर संभव स्रोत से उधार लिया और किसी तरह उस वर्ष इस उम्मीद में जीवित रहे कि एक दिन यह बिज़नेस हमारे लिए उड़ान भरेगा। कई बार हमारा मन करता था कि हम इसे छोड़ दें, हमारे सभी दोस्तों और रिश्तेदारों ने हमें नौकरी पर वापस जाने की सलाह दी लेकिन मेरे अंदर एक छोटी सी आवाज़ थी जो मुझे बताती थी कि अगर इतने सारे लोग इस बिज़नेस में सफल हो सकते हैं तो मैं क्यों नहीं। मैंने हर असफलता के साथ सीखा और अपनी गलतियों को सुधारा एवं अपनी टीम के लिए एक शक्तिशाली ट्रेनिंग और वर्किंग सिस्टम बनाई।


मेरा बिज़नेस बहुत तेजी से आगे बढ़ा और हमने अपने परफॉरमेंस के नए रिकॉर्ड बनाए। 2009 की जनवरी से मैं अपने बिज़नेस को ऑटो-मोड में स्थापित करने के क़ाबिल रहा। मैं अपनी उम्मीदों से कहीं ज्यादा सफल रहा और 2009 में अपनी पहली मर्सिडीज बेंज कार खरीदी। अगले कुछ वर्षों में हमने बेहतरीन बिजनेस टूल्स और बिजनेस ऑटोमेशन सिस्टम के जरिए अपनी टीम को सपोर्ट किया। इससे मुझे दुनिया की यात्रा करने का और दुनिया के सर्वश्रेष्ठ नेताओं और ट्रेनरों से सर्वोत्तम ट्रेनिंग लेने का बहुत समय मिला।

मेरी खुद की ट्रेनिंग


जबसे मैंने होश संभाला है तबसे मैंने अपने व्यक्तिगत विकास और उन्नति को बढ़ावा देने के लिए कई किताबों को पढ़ा है। जब मैं दिल्ली में था, मैं नियमित रूप से सेकंड हैंड किताबें खरीदने के लिए दरियागंज के संडे बुक्स मार्केट में जाता था। यह उस समय की बात है जब अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट का कोई अस्तित्व ही नहीं था। धीरे-धीरे मैंने 1500 से अधिक पुस्तकों और 1000 ऑडियो, वीडियो या ऑनलाइन प्रोग्राम की एक लाइब्रेरी बना ली है। किताबें पढ़ना मेरे लिए सांस लेने जैसा है।

जब भी मुझे किसी ट्रेनिंग में भाग लेने का मौका मिलता है, मैं पूरी कोशिश करता हूँ उस अवसर का लाभ उठाने का। मैंने हमेशा दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ट्रेनरों के ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लिया है। जहाँ तक मुझे याद है, अगस्त 2010 में मैंने अपने पहले प्रोफेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लिया था। वह शिव खेड़ा जी द्वारा आयोजित एक सेल्स ट्रेनिंग प्रोग्राम था और उसके बाद मैंने टोनी रॉबिंस, ब्रायन ट्रेसी, रॉबर्ट कियोसाकी, जैक कैनफील्ड, जॉन ग्राइंडर, कारमेन, माइकल कैरोल जैसे कई दिग्गजों से और संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप, सिंगापुर, थाईलैंड और कई अन्य लोगों से लाइव शिक्षा प्राप्त की है। मेरा यह मानना ​​है कि हमें हमारी ट्रेनिंग अपनी आखिरी सांस तक जारी रहनी चाहिए। अपनी ट्रेनिंग में निवेश करने से हमें अधिक रिटर्न मिलते है। मैंने पिछले कुछ वर्षों में अपनी ट्रेनिंग में 50 लाख से भी ज़्यादा निवेश किये है। आज भी मैं हर साल 30-60 दिन अपनी ट्रेनिंग को देता हूँ।

एनएलपी मास्टरी - पिछले 2 दशकों से भी अधिक समय से मैं इंसान कैसे अपने काम में आगे बढ़ सके उस पर रिसर्च कर रहा हूँ। मेरा मिशन है कि मैं उन टूल्स, तकनीके, ट्रेनिंग के बारे में पता लगाऊं जो इंसान को ज़्यादा से ज़्यादा काम करने में मदद करे। मैं हर एक इंसान को बड़ी सफलता पाते देखना चाहता हूँ।

इस खोज में, किसी ने मुझे एनएलपी सीखने के लिए कहा और 2015 के अप्रैल में भारत में मैंने अपना पहला प्रैक्टिशनर प्रोग्राम किया और हर 3 महीने में 7-9 दिनों तक के विस्तृत ट्रेनिंग में भाग लिया। फिर मैंने भारत और थाईलैंड में एनएलपी के लिए कई अन्य उत्तम कोर्सेज किये। 2019 में मुझे एनएलपी के को-फाउंडर द्वारा अपना अंतर्राष्ट्रीय एनएलपी का सर्टिफिकेशन मिला मेरे आठ वर्षों की एनएलपी ट्रेनिंग और 2 दशकों के अनुभव की मदद से मुझे हर कार्यक्रम और कॉर्पोरेट ट्रेनिंग में शीग्र परिणाम और आजीवन परिवर्तन लाने में मदद मिलती है।


मैंने भारत और विदेशों में कई अलग-अलग संस्थाओं से मेडिटेशन के कई अलग-अलग रूपों की खोज की है और दशकों की खोज के बाद, मैंने अपना खुद का एक मेडिटेशन का तरीका बनाया है जिसे मैं दिन में दो बार करता हूँ।


मैंने कभी कोई प्रोफेशनल स्पोर्ट्स नहीं खेला है लेकिन मैं हमेशा किसी न किसी प्रकार का व्यायाम करता रहा हूँ। मैंने मैराथन में दौड़ लगाई है, जिम में कसरत की है व एरोबिक्स के साथ साथ एचआईआईटी, दौड़ना, तैरना आदि भी की है। पिछले 3 वर्षों से मैं रोज़ाना योग कर रहा हूँ और इसने मेरे जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है।

लेखक एवं कंटेंट क्रिएटर


अपने डायरेक्ट सेलिंग करियर में लाखों लोगों की टीम बनाते हुए मुझे यह आभास हुआ की हर एक इंसान के अंदर महानता के बीज होते हैं। उन्हें अपनी असली क्षमता को प्रकट करने के लिए केवल सही आग और पोषण की आवश्यकता है। बहुत ज़्यादा संख्या में लोगों की मदद करने वाले टूल्स बनाने की इस खोज ने मुझे अपनी पहली पुस्तक के रूप में अपने सभी अनुभवों को संक्षेप में प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। मुझे अपनी पहली किताब लिखने में 18 महीने का गंभीर काम लगा, जिसे मैंने खुद से पब्लिश किया और 10 जून 2018 को रिलीज़ किया।

लोगों को मेरी पुस्तके काफी पसंद आयी और उनकी सिफारिशों के माध्यम से धीरे-धीरे मेरी पुस्तकों की बिक्री बढ़ने लगी और मुझे भारत के एक प्रमुख प्रकाशन गृह से प्रकाशन का प्रस्ताव मिला।


मैंने इस पुस्तक को YouTube पर ले जाने का फैसला किया और सितंबर 2018 में अपना YouTube चैनल शुरू किया। मैं कैमरे से बहुत शर्माता था और सोशल मीडिया पर उतना ज़्यादा एक्टिव नहीं रहता था। पुराने जमाने की छतरी वाली लाइटें खरीदीं और अपने घर की सफेद दीवार के सामने वीडियो शूट करना शुरू किया। एक लड़के ने वीडियो एडिट और अपलोड करने में मेरी मदद करना शुरू कर दिया और लगातार एक के बाद एक वीडियो डालते हुए, अब हमारे दो YouTube चैनलों पर 1000 से अधिक वीडियो हैं। इसके बाद मैंने अपना फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट भी बनाना शुरू कर दिया, तब से लेकर जनवरी 2023 तक, मेरे वीडियो को 210 मिलियन व्यूज मिल चुके है जो कि आगे बढ़ते जा रहे हैं।


अपनी पुस्तक का इतना अच्छा रिस्पांस देखते हुए, मैंने अपनी दूसरी पुस्तक जनवरी 2020 में, तीसरी पुस्तक अक्टूबर अक्टूबर 2021 और चौथी पुस्तक अक्टूबर 2022 में रिलीज़ की। मेरी 4 पुस्तकें अब 9 विभिन्न भाषाओं - हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, मलयालम, में उपलब्ध हैं।


मेरी सोशल मीडिया कम्युनिटी के लिए किताबें लिखना और कंटेंट तैयार करना मेरे जीवन का एक ज़रूरी हिस्सा बन गया है और मुझे एक गहरे स्तर पर संतुष्टि प्रदान करता है और जहाँ तक मेरा मानना है, आने वाले वर्षों और दशकों में मैं इसे और अधिक और बेहतर करना जारी रखूँगा।

मोटिवेशनल स्पीकर, कॉर्पोरेट ट्रेनर

एवं ऑनलाइन शिक्षक


जो भी मेरी किताबों और वीडियो को पसंद करते थे, वो मेरे ट्रेनिंग कार्यक्रम में भी शामिल होना चाहते थे, इसलिए मैंने जनवरी 2019 में अपने ट्रेनिंग प्रोग्राम्स की शुरुआत की और यह अब बड़े पैमाने में एक ट्रेनिंग व कंसल्टिंग कंपनी के रूप में विकसित हो गई है। हम साल भर लाइव इवेंट करते हैं और लोगों को उनके सपनों को पूरा करने में मदद करने के लिए कई ऑनलाइन कोर्स बनाते है। मैं हर तरह के कॉरपोरेट आयोजनों में मुख्य स्पीच भी देता हूँ और विभिन्न विषयों पर 2 घंटे से लेकर 2 दिनों तक के लिए कस्टमाइज्ड ट्रेनिंग भी देता हूँ। प्रत्येक स्पीच या ट्रेनिंग को इसी उद्देश्य के साथ डिज़ाइन किया जाता है कि वह तुरंत परिणाम और आजीवन परिवर्तन दे।

मोटिवेशनल ट्रेनिंग का सिलसिला जो मैंने एक छोटी सी कॉलिंग से शुरू किया था वह अब तक 1.9 मिलियन लोगों के जीवन को बदल चुका है जिससे मुझे बेहद ख़ुशी महसूस होती है। मैं 3 बार टेडएक्स और जोश टॉक्स के लिए स्पीकर रह चुका हूँ। 

मुझे वर्ष 2020 और 2022 के बेस्ट डायरेक्ट सेलिंग ट्रेनर, बेस्ट एंटरप्रेन्योरशिप ट्रेनर और कोच, IIT बॉम्बे एंटरप्रेन्योरशिप सेल के ब्रांड रिप्रेजेन्टेटिव और कई अन्य सम्मानों से सम्मानित किया गया है, जिसके लिए मैं अपनी कम्युनिटी का सदा आभारी हूँ।

मेरी टीम और मैं लगातार टूल्स, तकनीक और ट्रेनिंग के तरीको को विकसित कर रहे हैं ताकि लोगों को उनके सपनों को तेजी से हासिल करने में मदद मिल सके। मैं अपनी अंतिम सांस तक लोगों की सेवा करना चाहता हूँ और उन्हें वे सभी टूल्स और ट्रेनिंग देना चाहता हूँ जिससे वो तेजी से सफल हो पाए।

पर्यटक व आजीवन छात्र


मुझे पर्यटन का बेहद शौक है। विभिन्न जगहों की यात्रा करने से मैं ज़िंदादिल और तरोताज़ा महसूस करता हूँ। मैंने भारत के लगभग हर प्रमुख शहर और राज्य की यात्रा की है। मेरे जीवन में यात्रा, कॉफी, किताबों और संगीत का ख़ास महत्त्व है।


जितना अधिक मैं सीखता हूँ उतना ही मुझे एहसास होता है कि सीखने के लिए और भी बहुत कुछ है। मेरा मानना ​​है कि हम या तो बढ़ रहे हैं या मर रहे हैं और बढ़ना केवल सीखने से ही संभव है। मैं जीवन का एक छात्र हूँ और अधिक से अधिक सीखने की अनन्त खोज में हर रोज आगे बढ़ रहा हूँ।

जीवन उद्देश्य


मेरे जीवन का एक ही उद्देश्य है - लोगों को प्रेरित करना और उन्हें सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए सशक्त बनाना। मैं लोगों को अत्याधुनिक ट्रेनिंग, टूल और समाधान प्रदान करना जारी रखना चाहता हूँ ताकि उनके लिए सफलता आसान और तेज हो। अपने छात्रों और सोशल मीडिया फॉलोअर्स को खुश और सफल देखना मेरा सबसे बड़ा इनाम है और मैं इसे हमेशा के लिए जारी रखने के लिए तैयार हूँ।

Childhood

I was born in a small village named Jatusana in District Rewari of Haryana, India. My father was a pharmacist in the government dispensary and mother was a homemaker. 

Teenage

My mother got a job in a city called Sirsa and we all then moved there. Next few years were amazing as I learnt to manage my school along with house responsibilities.

Higher Education

I was almost there in the medical college for becoming a doctor but shifted from Science to Commerce and completed my B.Com. from our local college. 

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